Rajasthan Hindi Granth Academy
    

   जय श्री राम   जय हनुमान




जय हनुमान
|| रामायण चोपाई ||
मंगल भवन अमंगल हारी | द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी ||
राम सिया राम सिया राम जय जय राम - २
हो, होइहै वही जो राम रचि राखा | को करे तरफ़ बढ़ाए साखा ||
हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी | आपद काल परखिये चारी ||
हो, जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू | सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू ||
हो, जाकी रही भावना जैसी| रघु मूरति देखी तिन तैसी ||
रघुकुल रीत सदा चली आई | प्राण जाए पर वचन न जाई||
हो, हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता | कहहि सुनहि बहुविधि सब संता ||
राम सिया राम सिया राम जय जय राम ---------जय सिया राम

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